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 तबलिगी जमात 



बीते दो-तीन दिनो से मेरे भारत के लोंगो के सामने मीडीया के तथाकथित राष्ट्रवादी एंकरो ने TV पर जो तबलिगी जमात वालों के प्रति झुट/नफरत फैलाई है यह अबतक का भारतीय इतिहास का न्युज चैनलों पर फैलाया हुआ सबसे अधिक किसी धर्म या पंथ के प्रति सर्वाधिक झुट था । 


तबलिगी जमात को, जो भारत के बाकी मजहबों के लोग है, वह लोग इसे जानते ही नही थे या बहोत कम ही नाम सुना था सोचा इसपर कुछ बड़ा सा आर्टिकल लिखा जाए लेकिन वक्त के साथ अधिक पैमाने पर झुट भी बड रहा था और बहोत से आर्टीकल मराठी या अन्य भाषा मे चल रहे है थे, लेकिन इस आर्टीकल मे तबलीग जमात के साथ मीडिया ने जो झुट फैलाया है,  उसपर भी आम भाषा मे लिखने की कोशिश करूँगा, इसका उद्देश्य सिर्फ इतना है, जो इन हवाबाजीयों (भारतीय मीडिया) के चक्कर मे पढकर बिना जांच के जो व्हाटसप युनिवर्सिटी पर जो भ्रम/झुट परोसा गया, या भारतीय मीडिया के कुछ मीडीया संस्थानो ने झुटी खबरों को जिस तरह फैलाया था, उसे लोंगो ने वैसे हि या कुछ अनाप-शनाप मिलाकर दुसरों तक परोस दिया/फैलाया ।


 मेरे विचारों के मुताबिक यह दुनिया का ऐसा अकेल पंथ है जो किसी भी प्रॉफिट के बिना बिते 100 सालों से अपना काम समाज हितों के लिए करता आ रहा था । और खास कर मेरा कुछ समय इन लोंगो के साथ लगा हुआ है, इसलिए जो तथ्य है वह जानने की कोशिश करेंगे और आप ही निर्णय लेना के क्या यह सब सही हुआ या इन लोंगो का जानबूझकर मिडीया ट्रायल किया गया । इस घटना पर इसलिए नही लिख रहा हुं के मै मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखता हुं या इन लोंगो से जुडा हुआ हुं बल्कि पहले उन लोंगो के साथ गलत हुआ और दुसरी बात इसलिए की इन सब घटनाओं/जमात के बारे मै अच्छे तरह से थोड़ा-बहुत पकड रखता हुं ।


यह एक ऐसा धार्मिक संगठन है जो आतंकवाद से दुरी दुनिया के मुसलमानों को रोक सकता है, जिससे पुरी दुनिया फिलहाल परेशान है । यह आतंकवाद/जिहाद को कम दर्ज़ा देता है और मानवता,इंसानियत,नेक काम और इस जैसे अनेक विषय जो मानवता को फायदा पहुंचता हो । ऐसा नही के सिर्फ मानवता के काम मे ही लगा हुआ है । यह एक धार्मिक संगठन/पंथ है इसमे धार्मिक कार्य तो होगा ही । 


यह मुसलमान को पाँच वक्त नमाज पढने की दावत/आमंत्रण देता है । इसके साथ रोजा,जकात और अन्य धार्मिक क्रियाएं शामिल है । जिससे मानवता को किसी भी प्रकार का कोई खतरा नही है, फायदा ही है । 


अगर आप किसी पर टिप्पणी कर रहे है तो उसके विषय मे आपको पुरी तरह से मालुमात होनी चाहिए । आप किसी के अच्छे अखलाक का गलत फायदा उठाना सही नही । इस पंथ के जो बड़े लोग है जो इस संगठन को चलाने का काम करते है वह अपनी तस्वीर भी निकालना सही नही समझते और 50-60 लाख के समुह को मार्गदर्शन करते हुए सम्मेलनों मे यह अपना नाम तक उजागर नही करते । यह इस्लाम को पड़े पक्के तरिके से मानते है, यह बस अपने परिवार की जरूरत के उतना ही कमाते है और बाकी बचा जो हम मदत कहे जा किसी के जरूरत पर लगा देते है । फिर यह दो टके के एंकरों के सामने जो राजनेताओं की गुलामी करते नही थकते, उनके सामने अपने आप को कैसे प्रदर्शित करेंगे ? जो उनके मुल उसुलों के खिलाफ है, अब यह आप पे निर्भर है के आप उन्हें पिछड़ा कहे या अपनी जिंदगी बड़े मजे से गुजारने वाले लोग । 


हम इसे को समझने के लिए दो विभागों मे बाटेंगे , जिससे हमे समझने मे आसानी हो ।


1) तबलीग जमात

2) तबलीगी जमात और मिडीया ट्रायल 



1)  अब हम जानने की कोशिश करेंगे की यह तबलिगी जमात है क्या ?



जमात का अगर हम मतलब तलाशें तो इसका मिनींग हमारे हिंदी भाषा मे हम समुह या वर्ग ऐसा मतलब निकाल सकते है । तबलिगी जमात दिन-ए-इस्लाम का एक बहोत बड़ा हिस्सा है, इसके चाहने वाले पुरी दुनिया मे फैले हुए है और खास कर एशियाई देशों मे इस जमात के बड़े तादाद मे चाहने वाले/ताल्लुक रखने वाल मिल जाएंगे । तबलिगी पंथ वाले इसे कोई फिरका या पंथ नही मानते लेकिन इस्लाम मे जो बाकी पंथ है, इसे पंथ/फिरका ही मानते है और विवाद से चलते है इनसे घृना भी करते है । अगर किसी को किसी की बुराई करनी है तो उसकी अच्छी चिजों मे भी बुराई ढुंढ लेने की कला लोंगो के अंदर मौजूद होती है ।


सबसे पहले इस जमात को समझने के लिए हम इसकी शुरुआती वसुल है वह अगर समझ ले तो हमे आसानी होगी  । 

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RASTRAVAAD AUR VIVAD

 राष्ट्रवाद







जिस तरह से हमने बचपन से लेकर बडे होते हुए जिस राष्ट्रभक्ती के बारे मे सुना हुआ था उसमे अब काफी बडे पैमाने पर बदलाव हुए है । राष्ट्रवाद के नाम पर अब अनेक लोग अनेक प्रकार की बाते करते दिखायी दे रहे है और इनमे से हर कोई अपने आप को सच्चा साबित करने मे लगा हुआ है । अब जनता जब इन सब के विचार सुन रही है तो जाहिर है के जनता मे भी राष्ट्रवाद के नाम पर फुट पडी है या यूं कहूं तो जानबूझकर यह फुट जनता मे डाली गई है ।

अब हर एक चिज को याने इनमे धर्म, राजनीतिक दल,संगठन, नेता और यहाँ तक के आम इन्सानों को तक अब इसके बारे अपने आप को साबित करना पड रहा है । यहाँ जिसका-उसका अपना एक पैमान सामने आ रहा है और हर कोई अपने तरीके से इसे नापने की कोशिश मे लगा हुआ है । अब इसका फायदा राजनैतिक दल कैसे नही उठाते ? कुछ राजनेता और राजनैतिक दलों का इस क्षेत्र मे अपना वजुद कुछ ऐसे बना लिया है मानो यह राष्ट्रवाद का प्रतीक बन बैठे है । फिर इसकी वजह से वह आम जनता को जो परोस रहे है, वही समाज मैं फैल रहा है । इसका असर समाज मे इतने बुरे तरीके से हो रहा है के उससे नफरत के सिवाए और कुछ समाज-जनता को अबतक हासिल नही हुआ ।



आइए जो असल राष्ट्रवाद है उसे हम भी अपने तरीके से समाज मे फैलाने की कोशिश करते है, जिससे जो नफरत फैल रही है वह झुठा राष्ट्रवाद खत्म हो सके, अपना राष्ट्रवाद  अपने नजरिये से ।


राष्ट्रवाद के उफर अबतक काफी बड़े पैमाने पर चर्चाएं और बहोत से जानकारों इसपर अपना-अपना नजरिया लोगों के सामने रखा है वह हम पहले जानने की कोशिश करते है ।


राष्ट्रवाद का उदय : 

  

राष्ट्रवाद का उदय 18 वी और 19 वी सदी में युरोप मे हुआ था । राष्ट्रवाद बस तक़रीबन सिर्फ दो सौ और कुछ साल पुराना ही इसका उदय की आयु है मगर से यह विचार बेहद सशक्त और टिकाऊ साबित हुआ है । राष्ट्रवाद इस शब्द का पहेली बार उपयोग जॉन गॉटफ्रेड हर्डर ने किया था और इन्होंने ने ही जर्मन राष्ट्रवाद की निव रखी थी । लेकिन उस समय इस विचार को समान धर्म, भाषा, क्षेत्र यहाँ तक ही माना गया । जब भी धर्म,भाषा,नस्ल, के आधार पर समरूपता स्थापित करने की कोशिश की गई तब तनाव एवं उग्रता को ही बल मिला ।


जब राष्ट्रवाद की सांस्कृतिक अवधारणा को ज़ोर-ज़बरदस्ती से लागू करवाया जाता है तो यह ‘अतिराष्ट्रवाद’ या ‘अन्धराष्ट्रवाद’ कहलाता है। 



प्रो. स्नाइडर के मुताबिक  :


इतिहास के एक विशेष चरण पर राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक व बौद्धिक कारणों का एक उत्पाद - राष्ट्रवाद एक सु-परिभाषित भौगोलिक क्षेत्र में निवास करनेवाले ऐसे व्यक्तियों के समूह की एक मनःस्थिति, अनुभव या भावना है जो समान भाषा बोलते हैं, जिनके पास एक ऐसा साहित्य है जिसमें राष्ट्र की अभिलाषाएँ अभिव्यक्त हो चुकी हैं, जो समान परम्पराओं व समान रीति रिवाजों से सम्बद्ध है, जो अपने वीरपुरूषों की पूजा करते हैं और कुछ स्थितियों में समान धर्म वाले हैं ।


भारत मे राष्ट्रवाद  :


 अगर हम भारत मे राष्ट्रवाद की खोज करे तो कुछ विख्यातों के मुताबिक प्राचीन भारत में इसके हमे कड़ी याँ नजर आती है, मगर वह भारत का प्राचीन  राष्ट्रवाद भी बड़े बहस का मुद्दा है, हम उसमे पडें गे ही नही । हम आधुनिक भारत मे जो राष्ट्रवाद भारत के जनसामान्य मे विकसित हुआ उसपर बात करेंगे ।


अगर हम भारत मे राष्ट्रवाद की बात करे या उसे देखे तो हमे धर्म,भाषा,नस्ल ऐसे विषयों का योगदान कम हो रहा । क्योंकि भारत मे अनेक धर्म, पंथ, भाषाएँ और जिसकी उसकी अपनी एक संस्कृति देखने को मिलती है । इन सब विषयों को विचार भारत मे कम ही फैला है । भारत मे राष्ट्रवाद की भावना बाहरी शक्ती को पराजित/भगाने के लिए बड़े पैमाने पर जागृत हुई ।

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